2014 में मुझे कोई मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहता था, ये सिर्फ राहुल गांधी का फैसला था। दिल्ली में बड़े-बड़े शक्तिशाली लोग जिन्होंने 2012 में भी प्लॉटिंग की थी वह अपने खेल में लग गए। मुझे कहा गया कि आप कैबिनेट मिनिस्टर हो तुम यहां रहो। मैं भी मिनिस्ट्री में रम गया क्योंकि वहां जो नदी जोड़ने वाली परियोजनाएं थीं वह मेरे सोच के अनुरूप थी। पढ़िए पूरा इंटरव्यू….
सवाल – ऐसा तो नहीं कि आप ये कहना चाह रहे हो कि अब तक पार्टी ने बहुत कुछ दिया और अब समय है कि आप पार्टी को कुछ दें।
जवाब – हां ये भी है। देखिए हमारे पास दो तीन अपकमिंग राजनेता हैं, बोलने के लिए स्क्रिप्ट भी तो चाहिए। चुनाव के दिनों में तो इस आर्ट की भी बहुत जरूरत होती है। ऐसे स्किल वाले जैसे गणेश गोदियाल जी, करन माहरा जी हैं इनमें भी ये स्किल है। मैं एक उदाहरण देना चाहता हूं। राष्ट्रीय स्तर पर राहुल जी, प्रियंका जी की डिमांड करते हैं लेकिन उसके पहले नीचे की स्तर पर भी बात होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सचिन पायलट को भेज दीजिए। आजकल हमारे नये यूथ लीडर हैं बिहार से कन्हैया, उनकी डिमांड है। मेरे बेटे आनंद रावत हैं, उनके पास भी ओरिएंटल स्किल है।
सवाल – आप पीसीसी के चीफ रहते हुए सत्ता में आए। सामान्य तौर पर तमाम राज्यों में जो पीसीसी का प्रेजीडेंट होता है, वही सीएम बनता है लेकिन आपको नहीं बनाया गया, तो इसकी टीस जीवन में रहेगी क्या?
जवाब – देखिए कुछ लोगों ने कह दिया कि वह होंगे तो हम नहीं। जो लोग 1999 के बाद कांग्रेस में आए जैसे सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा, इंदिरा हृदयेश, हरक सिंह रावत आदि ने कहा कि हरीश रावत को रोकना है। हरीश रावत को रोकने में सब सफल हो गए। सोनिया जी ने मुझे बुलाया… मैं उनका आभारी हूं। उन्होंने कहा कि हरीश स्थितियां ऐसी हैं। मुझे नारायण दत्त जी को सीएम बनाना होगा। मैंने कहा कि मैडम आपके नाम से जीते हैं। जिसको आप बनाएं। हमने स्वीकार किया लेकिन बहुमत हमारे (मेरे) साथ था। यदि मैं 2002 में मुख्यमंत्री बन गया होता तो अलग परिस्थितियां होतीं। जब मैं चीफ मिनिस्टर बना उस दिन को आज भी याद करता हूं। उत्तराखंड के लोगों से साफ तौर पर कहता हूं कि किसी ने कहा कि आपने गैरसैंण राजधानी बना दी होती तो कांग्रेस सत्ता में आती। मैंने कहा, मुझे कब राजधानी बनाने के लिए चीफ मिनिस्टर बनाया गया। मैंने कहा मैं विषम परिस्थितियों में चीफ मिनिस्टर बनकर आया हूं, जब यह राज्य आपदा से खंडित था। यदि 2017 में मुझे मौका दिया होता तो यह सवाल मुझसे पूछा जा सकता था कि गैरसैंण राजधानी क्यों नहीं बनी। मैंने कहा मुझे तो आपने बनाया ही नहीं।
सवाल – 2022 के चुनाव में एंटीइनकमबेंसी थी, लग रहा था कांग्रेस आसानी से इस बार चुनाव जीत जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आपने दो सीटों से चुनाव लड़ने का फैसला लिया और उन्हीं में फंसकर रह गए। क्या आप इसको रणनीतिक चूक मान रहे हैं।
जवाब – हां, मैंने एक सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला लिया लेकिन वहां बहुत सारे उम्मीदवार हो गए थे। बहुत सारे कार्यकर्ताओं ने कहा कि आप किच्छा से लड़े नहीं तो किच्छा सीट फिर चली जाएगी। तब भी मैं रामनगर से लड़ना चाहता था। हरिद्वार ग्रामीण की सीट हम कभी नहीं जीते थे। मैंने सोचा कि मुझे एक बार प्रयास करना चाहिए। मेरे साथ एक आदमी ने धोखा कर दिया जिनको मैं कांग्रेस में लाया और उन्हें कभी कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया। उन्होंने अपने एक शिष्य को चुनाव लड़वा दिया जिससे वोट कट गए। ये राजनीति में विश्वास की चोट थी। मेरे चुनाव लड़ने के बाद दोनों सीटें कांग्रेस जीती हैं। जो आपने कहा कि 2017 में रणनीतिक चूक हुई थी, यह असामान्य स्थितियों में असमान्य निर्णय थे। इसमें मुझे कोई दुख नहीं है। 2022 में मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता था और देखना चाह रहा था कि कांग्रेस आ रही है। 2022 में चुनाव नहीं लड़ना चाहता था लेकिन सारी पार्टी के सदस्य बोलने लगे कि तुम्हें लाना है। मैंने कहा कि एक सीट बची है रामनगर, तो मुझे रामनगर से लड़वा दो, वहां ड्रामा हो गया। यहां मुझसे कहा गया कि बस सब तुम्हारे स्वागत के लिए तैयार है। जब मैं वहां गया तो धोखा हो गया।
सवाल – आपने ये कहा कि हमारे साथ धोखा हो गया। कई नेताओं को आपने तैयार किया। कइयों को जमीन से उठाया लेकिन मौका आया तो आपका साथ छोड़कर चले गए। जैसे किशोर उपाध्याय की बात है। इसे लेकर कभी मन में टीस रही।
जवाब – जिनकी आकांक्षाएं हैं वह आगे बढ़े। भगवान उनकी मदद नहीं कर पा रहे हैं। वे वन टाइम साबित हो रहे हैं। वह जिस तरीके से गए हैं, वह अपनी जमीन ठीक से रख नहीं पा रह हैं। उसका मुझे दुख है। मैं चाहूंगा मैंने जिस पौधे को लगाया है, वह वृक्ष के रूप में फल देने का काम करे। मैं नहीं चाहूंगा वह सूख जाए। होगा तो वही जो राम रचि राखा।
सवाल – आपका राजनीतिक कॅरिअर काफी लंबा रहा। इसमें कई उतार चढ़ाव आए। आपका वह भावुक क्षण कौन सा है।
जवाब – 2014 में मुझे कोई मुख्यमंत्री नहीं बनाना चाहता था, ये सिर्फ राहुल गांधी का फैसला था। दिल्ली में बड़े-बड़े शक्तिशाली लोग जिन्होंने 2012 में भी प्लॉटिंग की थी वह अपने खेल में लग गए। मुझे कहा गया कि आप कैबिनेट मिनिस्टर हो तुम यहां रहो। मैं भी मिनिस्ट्री में रम गया क्योंकि वहां जो नदी जोड़ने वाली परियोजनाएं थीं वह मेरे सोच के अनुरूप थी। उस समय जो हमने वाटर पॉलिसी बनाई थी वह मेरी कोशिश से हुई थी। राहुल जी ने मुझसे कहा आपको पार्टी को भी खड़ा करना है। जब 2017 में हारे तब मैं उनके पास गया और कहा कि सर मैं आपकी बात नहीं रख सका और पार्टी को सत्ता में नहीं ला सका। यदि आप कहे तो मैं राजनीति से हट जाता हूं। बोले नहीं आपको फिर लड़ना है। लड़िये फिर पार्टी को खड़ा करिए। आप पर विश्वास बढ़ा है क्योंकि आपकी लड़ने की ताकत मैंने देखी है। आप किस तरह से लड़े और उत्तर प्रदेश में क्या हुआ दोनों का डाटा मेरे पास है। उस समय मैं अंदर ही अंदर हिला हुआ था, ऐसे में जब नेता पीठ पर हाथ रखकर सहारा दे तो यह मेरे लिए जीवन का सबसे बड़ा भावुक क्षण था। इसलिए मैं तब तक जवान रहना चाहता हूं, जब तक राहुल गांधी को प्रधानमंत्री न देख लूं।
सवाल – सोशल मीडिया पर आजकल आप उत्तराखंड के उत्पादों का खूब प्रचार कर रहे हैं। ऐसा नहीं लगता आपको उत्तराखंड के उत्पादों का ब्रांड एंबेसडर बना दिया गया है।
जवाब – अब तो शिवराज सिंह मुझसे बड़े एंबेसडर बन गए है। काफल को का फल, मंडुवा को मंडुवा कह दिया जो कि मेरे लिए खुशी की बात है। ये तो मेरे लिए खुशी की बात है कि मेरी मां का अन्न और मेरी मां का फल है, देश का कृषि मंत्री उसका नाम ले रहा है। आप जैसे शुभचिंतक समझते हैं कि मैं उत्तराखंड के उत्पादों के लिए खुद को ब्रांड एंबेसडर स्थापित करना चाहता हूं। कुछ लोग समझते हैं कि मैं राजनीति में अपनी जमीन पॉलिसिंग करना चाहता हूं। कुछ लोग समझते हैं कि मेरे पास कोई काम धंधा नहीं है। जाकी रही भावना जैसी, प्रभु मूरत देखी तिन तैसी… जिसकी जैसी सोच है। हमने जो प्रसिद्धि हासिल की है, उसमें मेरे 20 लाख से अधिक फ्लोवर हैं जिसमें तीन चार लाख तो मेरे साथ महीने दो महीने में दिखाई देते हैं। आज डोनाल्ड ट्रंप मंडुवा खा रहा है। तो अब हमें प्रसन्नता होती है तो हम ये समझते हैं शायद कोई और चीज़ भी इसी तरीके से चल जाएगी।
सवाल – उत्तराखंड में जो डेमोग्राफी चेंज हुआ है इससे पहाड़ के लोग पलायन कर रहे हैं। इससे वह उत्तर प्रदेश या दूसरे राज्यों के साथ ही उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों हल्द्वानी या देहरादून आ रहे हैं।
जवाब – देखिए दो तरीके का पलायन है एक है सक्षम पलायन है मैं उसको एंकरीज करूंगा। मेरा बच्चा अच्छा हुनरमंद हो, वो दुनिया में जाए। मैंने तीन साल के कार्यकाल में पॉलिटेक्नीक बनाए, आईटीआई लगभग दोगुने कर दिए। मैंने तकनीक से सक्षम लोग तैयार किए और अक्षम लोगों ने पलायन किया। उत्तराखंड में आवारा पशुओं की सबसे बड़ी समस्या हो गई। आप उत्तराखंड को नॉन मैनेजेबल स्टेट बना रहे है। उसी का असर है कि आज पलायन है और उत्तराखंड की व्यवस्था को चौपट कर दिया है।
सवाल – डेमोग्राफी चेंज पर क्या आपके पास डेटा है और कहां से आया?
जवाब – हर शहर के अंदर देख लीजिये वर्ष 2017 के बाद सब्जी वाला, दाढ़ी बनाने वाला, काम वाला, मंदिर बनाने वाला, प्लम्बिंग करने वाला और जो जितने भी लोग आए हैं, ये सब 2017 के बाद आए हैं। क्योंकि आपने अपने लोगों को प्लंबर बनने के लिए आगे नहीं बढ़ाया। हमने जो ब्यूटीशियन का कोर्स स्टार्ट किया था आज आईटीआई, पॉलिटेक्निक में बंद कर दिए गए। जब हमारे बच्चों के पास वो हुनर ही नहीं रहा। मैं कहना चाहता हूं कि उत्तराखंड में जो डेमोग्राफी चेंज हुआ है उसके लिए केवल भाजपा दोषी है। इनके पास दृष्टि नहीं है, चीजों को समझने की और इसी कारण ये हालात पैदा हुए हैं।
सवाल – सोशल मीडिया पर आपकी जलेबी और चाट बनाने की पोस्ट खूब वायरल होती है। खाना बनाना आपका शौक है या फिर जनसंपर्क बनाने का जरिया।
जवाब – कुछ नहीं है, अपने लोग है आप आत्मीयता प्रकट करने के लिए आपको कोई न कोई तो भाव बनाना पड़ेगा, आप मान लीजिए मैं आपके पास आया, मैंने आपको देखा। आप परिचित है तो मैंने आपके कंधे पर हाथ रख लिया। ये सब मेरा लोगों के साथ स्नेह प्रकट करने का तरीका है। मैं तुम्हर आदिम छूं (मैं तुम्हारा ही आदमी हूं या तुम्हारे बीच का आदमी हूं)।
सवाल – उत्तराखंड कांग्रेस में आपका सबसे पसंदीदा नेता कौन है?
जवाब – सच बताऊं मेरा बेटा, मैंने 2007 में उसका टिकट काटा। रानीखेत से था, वह एक्सीडेंट था। 2012 में मैंने लालकुआं से काटा। 2017 में आनंद ने जसपुर में काम किया और पूरे सिचुएशन उसके पक्ष में थी, लेकिन मैं कांग्रेस के इंटररेस्ट में आदेश चौहान को लाया भाजपा से और उसका टिकट दिया और उसने तीनों बार आज्ञाकारी बेटे के तरीके से मेरी बात मानी। वो सारे गुण उसमें हैं जिस सोच पर मैं उत्तराखंड को लेकर जाना चाहता हूं।
सवाल – कांग्रेस में आपका सबसे पसंदीदा व्यक्ति या जो लगता है कि कांग्रेस को आगे ले जा सकता है? राहुल गांधी के अलावा।
जवाब – राहुल गांधी, राहुल गांधी, राहुल गांधी
सवाल – उत्तराखंड में आप बीजेपी के किस नेता को पसंद करते हैं?
जवाब – जो भाजपा की नैया डुबा दे, इसलिए मैं 2017-18 में भी कहता था। त्रिवेंद्र सिंह पांच साल और आज कहता हूं पुष्कर सिंह पांच साल।
सवाल – भारतीय जनता पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर आप किस नेता को पसंद करते हैं?
जवाब – भाजपा में जिसे पसंद करता था वह अटल बिहारी वाजपेयी जी थे, लेकिन वह चले गए। इसलिए मैं नहीं चाहता कि लोकतांत्रिक पार्टी कमजोर हो।
सवाल – यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो वह धामी सरकार के किन फैसलों की समीक्षा करेगी।
जवाब – उनका कोई फैसला है, अब थूक जिहाद, लव जिहाद। इनका क्या फैसला करेंगे? क्या पुर्न फैसला करेंगे? इनकी समीक्षा करके मैं राज्य की क्षमता का क्यों दुरुपयोग करूं? मैं अपने मुख्यमंत्री से कहूंगा, इनकी तरफ ध्यान ही मत दो, अब नई शुरुआत करो, नए तरीके से उत्तराखंडियत की इबारत लिखो। उत्तराखंड, उत्तराखंड की बात करूंगा।